tag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post1517344255799219318..comments2023-10-05T17:40:55.285+05:30Comments on अरे बिरादर !!: एकजुटता और गुटबाजी में फर्क !!Unknownnoreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-44149825511818007372008-09-16T15:44:00.000+05:302008-09-16T15:44:00.000+05:30मस्त रहो यार. अनामदास का मज़ा यही है कोई कछु कहे ह...मस्त रहो यार. अनामदास का मज़ा यही है कोई कछु कहे हमें फ़र्क नहीं पड़ता, अच्छी बात हो तो आत्मसात कर लेते हैं, पसंद नहीं आए तो अनामदास जी जानें, हमें क्या.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-52946921445178007192008-09-16T14:14:00.000+05:302008-09-16T14:14:00.000+05:30ऐसा लगता है आप लोग पचड़े में पड़ गये...धूल म्हं लट...ऐसा लगता है आप लोग पचड़े में पड़ गये...<BR/>धूल म्हं लट्ठ मारोगे तो धूल ही उड़ेगी..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-83405253460271415602008-09-16T14:08:00.000+05:302008-09-16T14:08:00.000+05:30मेरी समझ से जहाँ लोग हैं, वहाँ गुट तो बनेंगे ही। य...मेरी समझ से जहाँ लोग हैं, वहाँ गुट तो बनेंगे ही। यह एक मानव स्वभाव है।<BR/>खैर आपने इस मसले पर अपने विचार खुले दिल से रखे, यह देख कर अच्छा लगा।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-16283508469195456132008-09-16T11:38:00.000+05:302008-09-16T11:38:00.000+05:30अनामदास नाम से कोई ब्लॉग भी है, यह मुझे अभी-अभी म...अनामदास नाम से कोई ब्लॉग भी है, यह मुझे अभी-अभी मालूम हुआ, यह जानने के बाद मुझे इस बात का क्षोभ हुआ<BR/>कि अनजाने ही इस नाम का ब्लॉग संभवत: इस विवाद के घेरे में आ गया।<BR/>anonymous विकल्प पर क्लीक करके अलग-अलग तरह के लोग कुछ भी लिख सकते<BR/>हैं। मैंने अनामदास को इसी अर्थ में लिया था। <BR/> नाम बदलकर लिखना और नाम छिपाकर कमेंट करने में<BR/>ये फर्क मुझे लगता है।<BR/> इसलिए नाम बदल कर लिखने वाले किसी भी ब्लॉगर का यहॉं मैं विरोध नहीं कर रहा। जो गलतफहमी हुई, उसके लिए क्षमा चाहुँगा।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-63728699150937707452008-09-16T11:00:00.000+05:302008-09-16T11:00:00.000+05:30.देख भगत.. परेशान मत हो !जैसे भी लिख रहा है, बस लि....<BR/><BR/><BR/><I>देख भगत.. परेशान मत हो !<BR/>जैसे भी लिख रहा है, बस लिखता जा... <BR/>मुँहदेखी न लिखना और यह मत सोचना <BR/>कि लोग इसको किस तरह से लेंगे, <BR/>फिर तो चैन ही चैन है ।<BR/>मनुष्य सामाजिक प्राणी है.. <BR/>गुट में रहने को अभिशप्त !<BR/>मैं तेरे को सीख इसलिये दे रहा हूँ, <BR/>कि तू बाद में टिप्पणीकारों से मेल कर कर के पूछता है, कि बुरा तो न लगा, क्या बुरा लगा .. वगैरह !<BR/>हिंदी साहित्य का जो, सत्यानाश हुआ है.. <BR/>वह इसी गुटबाजी की इंन्ज़ी्नियरिंग में किसी की <BR/>त्रुटि या कपट के चलते...<BR/>शुरुआती दौर में, मुझे बड़ी घुटन होती थी... <BR/>ये कहाँ आ गये हम ?<BR/>फिर अनूप का सिगनेचर कैप्शन देखा <BR/>’ ..... हमार कोऊ का करिहे ’<BR/>सो, टिक गया.. फ़िलहाल तो टिका हूँ ही.. <BR/>अब अनूप जी अगर कोई गुट <BR/>अपनी ज़ेब में रखते हों, तो बात बने भी ?<BR/>समीर भाई तो जैसे इस दुनिया के हैं ही नहीं.. <BR/>सस्ती में मिलती मस्ती के मालिक.. <BR/>दिनेश जी की परिभाषा सटीक है..<BR/>ज्ञानदत्त जी की बात ही निराली है, <BR/>वह सबकुछ हो लेते हैं... पर अपमानित नहीं होते ! <BR/>अनुराग अपनी रौ में लिखते हैं, अच्छा लगता है !<BR/>यह सब नज़ीरें सिर्फ़ इसलिये दीं, कि तू इनसे वाक़िफ़ है । <BR/>इनको पढ़ और गुन... <BR/>पर आदर्श बनाने की भूल न करना ।<BR/>सबको लगता है.. <BR/>कि केवल वही अच्छा लिखता है... <BR/>फिर परेशान होने लगता है कि आख़िर उसको सिर आँखों पर क्यों नहीं बिठाया जा रहा है, यह आत्ममोह तो ठीक ... पर आत्मश्लाघा घातक है..<BR/>रही बात.. आज के विषय की.. तो, <BR/>एकजुटता और उसके लिये प्रतिबद्धता , <BR/>अपने आप में गुट बनने की किंवा पहली पायदान है ! <BR/>यहाँ तो गुटनिरपेक्षों के भी गुट देखे जा सकते हैं... <BR/>कल्लो, जो करना हो ?<BR/>रामपुरिया की बात पर भी ध्यान दे, आख़िर को वह मेरा ताऊ ठहरा ।<BR/>अपुण तो ब्लागिंग मज़दूर की तरह काम करते हैं, <BR/>किसी ने टिप्पणी बीड़ी थमा दी, तो ठीक.. <BR/>पानी भी न पूछा तो भी ठीक..<BR/>मैं तो यह भी नहीं याद रखा करता कि किसको टिप्पणी दी.. और उसने लौटाई भी कि नहीं ? <BR/>इतना टैम ही नहीं है, बिरादर ! </I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-23338509170389254222008-09-16T08:58:00.000+05:302008-09-16T08:58:00.000+05:30आप ईमानदार लगते हैं ! मगर व्यक्तिगत बात कहने से बच...आप ईमानदार लगते हैं ! मगर व्यक्तिगत बात कहने से बचना चाहिए ! अच्छा लिखते है, लिखते रहेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-49654789378104791112008-09-16T05:34:00.000+05:302008-09-16T05:34:00.000+05:30क्यों बिरादर क्या हुआ?अनुराग का डाइलोग उधार रहा!अन...<B>क्यों बिरादर क्या हुआ?</B><BR/>अनुराग का डाइलोग उधार रहा!<BR/><BR/>अनूप जी ने ठीक कहा है, वाकई ज्ञानदत्त जी को किसी डिफ़ेंडर की जरूरत नहीं है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-24591757194200594372008-09-16T04:21:00.000+05:302008-09-16T04:21:00.000+05:30इस पोस्ट की जरुरत कहाँ से आन पड़ी भाई मेरे?मस्ती मे...इस पोस्ट की जरुरत कहाँ से आन पड़ी भाई मेरे?<BR/><BR/>मस्ती में लिखो यार-यहाँ सभी मस्ती में हैं.<BR/><BR/>परेशान होने की जरुरत नहीं और नही आपको साहनुभूति की दरकार. आप अच्छा लिखते हैं, लोग आपको पढ़ेंगे ही.<BR/><BR/>अनेकों शुभकामनाऐं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-18765051313872466082008-09-16T01:03:00.000+05:302008-09-16T01:03:00.000+05:30मे तो यही कहुगां अगर हम मे एकजुटता होती तो हम यु ए...मे तो यही कहुगां अगर हम मे एकजुटता होती तो हम यु एक दुसरे पर कीचड नही उछालते,यह जहाम मे रहता हु हम सब भारतीया अपने भारत की अच्छी ओर बुरी सभी बाते करते हे, लेकिन जब भी विदेशी हमारे भारत के बारे मे कोई गलत बात करता हे तो सब उसे से लड भी जाते हे,मेरे कहने का यही मतलब हे हमे आपस मे एक जुट रहना चाहिये,<BR/>आप ने लेख मे बहुत ही सुन्दर कहा हे.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-26240834999062917362008-09-16T00:15:00.000+05:302008-09-16T00:15:00.000+05:30इस विषय को जरूरत से ज्यादा लम्बा खींचा जा रहा है।इस विषय को जरूरत से ज्यादा लम्बा खींचा जा रहा है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-56278213989277439112008-09-16T00:03:00.000+05:302008-09-16T00:03:00.000+05:30अरे इहाँ गुटबाजी काहे की। एक विचार के पीछे कुछ लोग...अरे इहाँ गुटबाजी काहे की। एक विचार के पीछे कुछ लोग खड़े हो जाते हैं। उसे गुटबाजी ना कहिए। और अच्छे विचार को कोई माने या न माने। उस से प्रभावित जरूर होता है। आप तो बेखटके लिखते रहिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-52969086859084864822008-09-15T19:28:00.000+05:302008-09-15T19:28:00.000+05:30मुझे जो कहना था पहले वाली पोस्ट पर कह दिया था .......मुझे जो कहना था पहले वाली पोस्ट पर कह दिया था .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-71431353916111560022008-09-15T19:26:00.000+05:302008-09-15T19:26:00.000+05:30अफलातून जी, अनामदास जी का विरोध करने का सिर्फ एक...अफलातून जी, अनामदास जी का विरोध करने का सिर्फ एक ही कारण है- वो छिपके क्यों वार करते हैं? उन्हें भरोसा होना चाहिए कि वे जो कह रहे हैं और उसमें सच्चाई है तो उनके नाम के साथ ये जाहिर होना चाहिए। ऐसे ताकत का सम्मान तो हर जगह होता है। अगर मैं गुटबाजी का विरोध करता हूँ तो साथ ही, इस तरह के गोरिल्ला वार भी ब्लॉग के लिए शुभ नहीं मानता।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-67072159214292425022008-09-15T19:23:00.000+05:302008-09-15T19:23:00.000+05:30क्यों बिरादर क्या हुआ ?क्यों बिरादर क्या हुआ ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-39041199209541280182008-09-15T17:55:00.000+05:302008-09-15T17:55:00.000+05:30कल हम आपको पूरा एक ट्रक भर कर लिख गए थे ! आज आप १५...कल हम आपको पूरा एक ट्रक भर कर लिख गए थे ! <BR/>आज आप १५ मिनट का विपस्यना ध्यान करिए !<BR/>जब तक हम बुद्ध पर एक लेक्चर तैयार करते हैं ! :)<BR/>दोस्त हताश निराश नहीं ! कल हमने आपको जगत<BR/>का सत्य लिखा था ! उसको गीता पाठ की तरह <BR/>पढो मत ! उसको गुणों ! :)ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-14003703350346714942008-09-15T17:54:00.000+05:302008-09-15T17:54:00.000+05:30कल हम आपको पूरा एक ट्रक भर कर लिख गए थे ! आज आप १५...कल हम आपको पूरा एक ट्रक भर कर लिख गए थे ! <BR/>आज आप १५ मिनट का विपस्यना ध्यान करिए !<BR/>जब तक हम बुद्ध पर एक लेक्चर तैयार करते हैं ! :)<BR/>दोस्त हताश निराश नहीं ! कल हमने आपको जगत<BR/>का सत्य लिखा था ! उसको गीता पाठ की तरह <BR/>पढो मत ! उसको गुणों ! :)ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-32766190455082617852008-09-15T17:50:00.000+05:302008-09-15T17:50:00.000+05:30"इसे रोकने के लिए भी जो गुटबाजी अनामदास आदि के र...<B>"इसे रोकने के लिए भी जो गुटबाजी अनामदास आदि के रूप में सामने आ रही है, मैं उसके भी खिलाफ हूँ।"</B><BR/>-इसे पढ़ने के पहले तक आपको गम्भीरता से लेता था ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-31244151266793452572008-09-15T17:25:00.000+05:302008-09-15T17:25:00.000+05:30मैं जानता हूँ ऐसा लिखकर मैं हर तरफ से सहानुभूति ...मैं जानता हूँ ऐसा लिखकर मैं हर तरफ से सहानुभूति खो दूँगा, पर जो मुझे सही लगा, मैंने कह दिया। इसे चाहे आत्मविश्वास कह लें, चाहे बेवकूफी! <BR/><BR/>" aapne baat ko itne sahash ke sath kehna or clear kerna koee bevkufee nahee hotee, iske liye bhee pura hausla or aatmviswas chaheye, jo aapke ek ek sabd mey nazar aa rha hai, great.."<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-15763713817470584002008-09-15T16:23:00.000+05:302008-09-15T16:23:00.000+05:30बहुत सुन्दर लिखा है। सस्नेहबहुत सुन्दर लिखा है। सस्नेहशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-58646917719748930382008-09-15T14:19:00.000+05:302008-09-15T14:19:00.000+05:30प्रसन्नमन रहें मित्र! जहां तक सहमत होने का सवाल है...प्रसन्नमन रहें मित्र! जहां तक सहमत होने का सवाल है तो आज का मैं कभी कभी कल के मैं से भी असहमत होता हूं। <BR/>व्यक्ति जड़ नहीं विकसित होता जीव है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-90534085550866719812008-09-15T13:26:00.000+05:302008-09-15T13:26:00.000+05:30भगतजी, आपको कोई राय नहीं दे रहा और न ही संभलने की ...भगतजी, आपको कोई राय नहीं दे रहा और न ही संभलने की कोई अपील कर रहा हूं, बस एक सवाल कर रहा हूं कि ये सब जो आप सफाई दे रहे हैं, किनको दे रहे हैं। उनलोगों को जिनमें सो कई लोग अटारी पर चढ़कर तमाशा देखने के कायल रहे हैं। आपसे एक ही गलती हुई है जिस पर कि मुझे गुस्सा आ रहा है कि आप ब्लॉगिंग को बहुत ही मासूम जगह मान बैठे हैं, जो कि है नहीं। कोई दूसरा मन लेकर यहां नहीं आया है। जो जीवन में घाघ रहा है वो यहां भी घाघगिरी में लगा है।<BR/>आप जो लिख रहे हैं,अनुभव के स्तर पर खरा लिख रहे हैं, न तो किसी को सफाई देने की जरुरत है और न ही मुंह जोहने की। इतनी धारदार कीपैड का इस्तेमाल आप इस काम के लिए मत कीजिए प्लीज.... न ही तो इसी बीच कोई अक्कखड़ टिप्पणीकार कह बैठेगा- जगत देखी राजी हुई, भगत देखी रोई। ऐसा न होने दें।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-88046853184311928162008-09-15T13:18:00.000+05:302008-09-15T13:18:00.000+05:30हमारी बात:१. यह बात हमने एकलाइना में नहीं बल्कि और...हमारी बात:<BR/>१. यह बात हमने एकलाइना में नहीं बल्कि और अंत में अपनी बात कहते हुये कही है।उसमें कोई परिहास नहीं है।<BR/>२.ज्ञानदत्तजी के हम चाहने वाले हैं लेकिन उनके डिफ़ेंडर नहीं। ज्ञानजी को किसी डिफ़ेंडर की जरूरत नहीं। ज्ञानजी कोई बताशा नहीं हैं जो आरोपों की बारिश में गल जायें।<BR/>३.हम अपनी समझ में किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं हैं न आपके प्रति न किसी और के प्रति।<BR/>४.न आपकी पिछली बातचीत को हमने व्यक्तिगत आक्षेप के रूप में लिया न इस बात को।<BR/>५.यह लिखकर आप लोगों की सहानुभूति खो देंगे यह आपका भ्रम है। अव्वल तो आपको किसी सहानुभूति की आवश्यकता ही नहीं क्योंकि आपने कोई पाप नहीं किया। जो सही समझा लिखा, यह अच्छी बात है।<BR/>६. मस्त होकर लिखें। फ़िजूल के डर/भ्रम न पालें। बहुत अच्छा लगेगा।<BR/>७. हमारी तमाम शुभकामनायें।Anonymousnoreply@blogger.com