tag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post527149141936054677..comments2023-10-05T17:40:55.285+05:30Comments on अरे बिरादर !!: ऊँट बैठा इस करवट....Unknownnoreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-37193181760770557322009-05-15T00:00:00.000+05:302009-05-15T00:00:00.000+05:30इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि जो इंसान अंधविश...इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि जो इंसान अंधविश्वास और पाखंड की जाल में फंस चुका है, ऐसी स्थिति में अगर उसे कोई लामभ नहीं मिलता तो भी वो किसी दूसरे तरीके से पाखंड कोबनाए रखता है, उससे मुक्त नहीं होता। हमें ऐसी कोशिशें करनी चाहिए कि ऐसे इंसान को पाखंड से मुक्त करें। दाल खिलाने से अगर दर्द मिटता है तो देश का हर आदमी पेट काटकर दाल खिला रहा होता और एक समय बाद वो दर्द से मुक्त होता लेकिन क्या ऐसा होता है। इसलिए बच्चों उंट,घोड़े के चक्कर में मत पड़ो, इन्हें दाल खिलाने से बेहतर है, खुद दाल खाओ,मजबूत बनो और अपना काम करो. है की नहीं।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-780866875185882412009-05-14T18:10:00.000+05:302009-05-14T18:10:00.000+05:30ऊँट का चक्कर भी बहुत भारी पढेगा...........क्या आस्...ऊँट का चक्कर भी बहुत भारी पढेगा...........क्या आस्था है........गज़ब का विशवास..........अच्छा व्यंग मारा है आपनेदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-84916248494402380052009-05-14T17:15:00.000+05:302009-05-14T17:15:00.000+05:30कहां चले जाते हो मित्र.कहां चले जाते हो मित्र.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-75313916107260791942009-05-13T16:18:00.000+05:302009-05-13T16:18:00.000+05:30ऊंट की कहानी मजेदार है। पर आप आजकल ब्लॉगर्स को छोड...ऊंट की कहानी मजेदार है। पर आप आजकल ब्लॉगर्स को छोडकर इधर उधर कुछ ज्यादा ही निकल जाते हैं। आखिर बात क्या है।<br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-30374621743563527912009-05-13T12:47:00.000+05:302009-05-13T12:47:00.000+05:30वैसे ऐसे हालात में तो ऊंट खरीदा भी जा सकता है :-)वैसे ऐसे हालात में तो ऊंट खरीदा भी जा सकता है :-)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-41305708099379033332009-05-13T12:23:00.000+05:302009-05-13T12:23:00.000+05:30सही लाये हो......एकदम झकास....वैसे कौन सी दाल खिला...सही लाये हो......एकदम झकास....वैसे कौन सी दाल खिलाते है ??डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-54076308023500224852009-05-13T05:46:00.000+05:302009-05-13T05:46:00.000+05:30ऊठ को दाल ....... पहली बार सुना कहीं बताने वाले पं...ऊठ को दाल ....... पहली बार सुना कहीं बताने वाले पंडित जी के सेटिंग तो नहीं ऊठ वाले से .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-35750359706538547492009-05-13T02:51:00.000+05:302009-05-13T02:51:00.000+05:30मुहावरे से शीर्षक जम गया और आलेख ऊँट जी की आस्था क...मुहावरे से शीर्षक जम गया और आलेख ऊँट जी की आस्था के तहत जम गया ! <br />जय ऊँट बाबा की !<br /> और पिकासो सा'ब की रेखाएँ तो अनमोल हैँ !! <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-82083529528660249022009-05-12T22:44:00.000+05:302009-05-12T22:44:00.000+05:30भाई उंट के बजाये भैंस को खिलाना हो तो हमारे पास दो...भाई उंट के बजाये भैंस को खिलाना हो तो हमारे पास दो दो हैं, जरा बता दिजियेगा.:)<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-67021170758335612572009-05-12T21:27:00.000+05:302009-05-12T21:27:00.000+05:30ऊंट में आस्था न थी। अब कुछ जग रही है।ऊंट में आस्था न थी। अब कुछ जग रही है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-64487521608062937302009-05-12T21:08:00.000+05:302009-05-12T21:08:00.000+05:30आप इतने वक्त बाद आये हैं ..कहा व्यस्त थे...चित्र औ...आप इतने वक्त बाद आये हैं ..कहा व्यस्त थे...चित्र और कथा दोनों बेहतरीन.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-58048297875920827932009-05-12T20:59:00.000+05:302009-05-12T20:59:00.000+05:30गजब भई, क्या आस्था है!!!! धन्य हुए!
हाँ, पिकासो ...गजब भई, क्या आस्था है!!!! धन्य हुए!<br /><br /><br />हाँ, पिकासो का बनाया चित्र बेहतरीन लग रहा है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4337029721230821036.post-50438420791299177482009-05-12T20:21:00.000+05:302009-05-12T20:21:00.000+05:30हा हा हा....
आप कितने मंगल के बाद आये हैं... कही...हा हा हा....<br /><br /><br />आप कितने मंगल के बाद आये हैं... कहीं ऊटं के चक्कर में तो नहीं..:)रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.com