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Saturday 19 November 2011

हवा-हवाई

नवम्‍बर का महि‍ना था। दि‍ल्‍ली में मस्‍त बयार चल रही थी।
ऐसे ही एक खुशनुमा सुबह, जब राजस्थान से चलने वाली बस दि‍ल्‍ली के धौलाकुँआ क्षेत्र से सरसराती हुई तेजी से गुजर रही थी।
स्‍लीपिंग कोचवाले इस बस में ऊपर की तरफ 4-5 साल के दो बच्‍चे आपस में बातें कर रहे थे।


-अले चुन्‍नू!
-हॉं मुन्‍नू!
-वहॉं देख क्‍या लि‍खा है!
-क्‍या लि‍खा है?
-इंडि‍या गेट!
-अले हॉं, दि‍ल्‍ली आ गया! आ गया! आ गया!




-अरे मुन्‍नू, इतना मत लटक, गि‍र जाएगा!
-तू अपनी चिंता कर, तूने ऊपर नहीं पढ़ा क्‍या?
-नहीं तो!
- ठीक से पढ, ऊपर लि‍खा है एम्‍स!
- तो!
- तो क्‍या, गि‍रे तो बस को एम्‍स ले चलेंगे, नहीं तो इंडि‍या गेट !!




जि‍तेन्‍द्र भगत

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जिस तरह लटके हैं, ऊपर वाला बोर्ड ठीक बता रहा है।

Arvind Mishra said...

बढियां है !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

आइडिया एकदम सटीक है