Related Posts with Thumbnails

Friday 11 December 2009

प्रि‍ये! तुम्हारे लि‍ए.......

सच कहूँ तो फुर्सत मि‍ली नहीं
कि‍ याद तुम्हें कर पाऊँ
पर जो कुछ भी कर रहा हूँ
ये सब तुम्हारे लि‍ए है।

मैंने कभी नहीं कहा था
तुम्हारे लि‍ए तोड़ लाऊँगा चॉंद-तारे।
सच तो ये है कि‍
तुम तक पहुँचने के लि‍ए
अपने हाथों से मुझे
बनानी पड़ रही है सड़क
..........तोड़ने पड़ रहे हैं पत्थर।

मुझे मालूम है
बर्तन-बासन मॉंजते
तुम्हारे हाथ पत्थ़र हो गए हैं
मुझे माफ करना मेरी प्रि‍ये!
मैं नहीं तोड़ पाया ये पत्थर .......

मैंने नहीं कहा था कि‍
मैं लौटकर आऊँगा
पर चाहा था कि‍ इंतजार करना.........।
माना कि‍ सरहद पर नहीं जा रहा था
पर अपनी दहलीज पर
हरेक को लड़ना पड़ता है जिंदगी से
एक फौजी की तरह।
और वैसे भी
जो लड़ नहीं पाता
वो बेमौत मारा जाता है.......

फि‍लहाल मच्छरों के बीच
थककर उचाट सोया हूँ,
नींद है भी और नहीं भी
हि‍चकता हूँ याद तुम्हें करते हुए....

अब तो मेरी मुन्नी भी
पप्पा -पप्पा करने लगी होगी
अरमानों का चूल्हा-चौका
भरने लगी होगी।



मैं आऊँगा मि‍लने उससे
भर लाऊँगा कपड़े लत्ते।
मेरी बन्नो तेरी बिंदि‍या-चूड़ी
लेकर नहीं आ पाऊँगा।
जानता हूँ
तुम्हे इसका अरमान रहा भी कब
मेरा आना ही तुम्हारे लि‍ए
हर कारज सि‍द्ध होना है....

आने का वादा अभी कर नहीं सकता
क्योंकि‍ कल फि‍र काम पर जाना है।
और सच कहूँ प्रि‍ये
ये सब तुम्हा्रे लि‍ए है..........

-जि‍तेन्‍द्र भगत
(चि‍त्र गूगल से)