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Saturday 1 July 2017

माइलेज

वे कम खाती हैं मगर ज्यादा समय तक काम कर लेती हैं।  वे बीमार पड़ती हैं तो उन्हें बिस्तर पर आराम करना कभी अच्छा नहीं लगता। उनके पेट में एक और केमिस्ट की दुकान होती है। इनका काम बाजार जाकर बस दवाई खरीदनी होती है और पेट के केमिस्ट तक पहुँचानी होती है। ना-ना, ये ड्रग-अडिक्शन नहीं है, मगर उससे कम भी नहीं है! वो क्या कहते हैं.. हाँ, मूव लगाओ, काम पे चलो, दवाई निगलो, काम पे चलो।
पता नहीं कहाँ से इतनी ताकत लाती हैं ये! इसलिए भगवान ने इन्हें सबसे मुश्किल काम सौपा है, 9 महीने पेट में बच्चे पालने का! ये वहीँ नहीं रुकती! बच्चे के जन्म के बाद भी उसे पालना नहीं छोड़ती!

सोचता हूँ आदमी को ऐसी क्षमता ईश्वर ने दी होती तो... तो क्या! इसकी कल्पना भी सिहरन पैदा कर देती है। ये वही स्त्रियां हैं जो 55 से 60 किलो वजन बढ़ते ही हाय- तौबा करने लगती हैं मगर 9 महीने में 70-80 किलो होकर भी खुश रहती हैं। कमाल की प्रकृति होती हैं इनकी!
स्त्रियां कम ईंधन में ज्यादा माइलेज देती हैं।