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Saturday, 6 June 2009

मसूरी: पास का सुहाना ढोल........


बारह साल पहले छात्र-जीवन की कंजूसी के तहत पहाड़ी यात्रा के सफर पर जब मैं चला था, तब इस दौरान बस-यात्रा और कई जगह मीलों पैदल चलने की मजबूरी ने मसूरी यात्रा को नागवार बना दि‍या था। तभी मैंने तय कि‍या था कि‍ अब बस की बेबस-यात्रा की बजाए कार से आऊँगा, बशर्ते कार बेकार न हो। तब मेरे साथ मेरा एक मि‍त्र सत्यम था, जि‍से मैंने इस टूर के लि‍ए जबरदस्ती सहयात्री बनाया था। मैं हि‍न्दू कॉलेज हॉस्टल में रहता था और वहॉं से हरि‍द्वार-ऋषि‍केश का टूर जा रहा था (हैरानी की बात है कि‍ हम कॉलेज के उन दि‍नों में धार्मि‍क यात्राऍं कर रहे थे।) हॉस्टल टूर की बस को छोड़ हमने देहरादून और फि‍र वहॉं से मसूरी की बस पकड़ ली थी।
उन्हीं दि‍नों को याद करते हुए पि‍छले हफ्ते अपने दोस्त की 96 मॉडल स्टीम कार से हम लोग मसूरी पहुँचे। कार से यहॉं आने की इच्छा तो पूरी हो गई पर डर तो ये सता रहा था कि‍ ये 96 मॉडल कार हमें वापस दि‍ल्ली तक पहुँचा पाएगी या नहीं!
खैर, तमाम तरह के फि‍जूल डर और रोमांच के बीच यह यात्रा दि‍ल्ली की गर्मी से राहत दि‍लाने में कामयाब रही। मसूरी तो आप सभी गए होंगे, इसलि‍ए वहॉं के बारे में मैं क्या बताऊँ! कुछ तस्वीरें बोलती हैं, कुछ चुपचाप दि‍ल में उतर जाती हैं तो कुछ अतीत में आपको खींच ले जाती हैं। शायद आपको भी कुछ याद आ जाए...


गॉंधी चौक


केम्‍पटी फॉल

14 comments:

नीरज गोस्वामी said...

भीषण गर्मी में आपने मसूरी के दर्शन करवा कर बहुत उपकार किया है...शुक्रिया...
नीरज

रंजन said...

अच्छी तस्विरें..

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया जी इस भयानक गर्मी मे आप मसूरी हो आये और पुरानी यादें भी ताजा करवा दी.

रामराम.

कुश said...

हम घूम रहे है कि दुनिया घूम रही है ?

दिगम्बर नासवा said...

गर्मी में भी ठण्ड का एहसार कराती पोस्ट............ सुन्दर चित्रों से सजी.......

डॉ .अनुराग said...

हमने स्कूलिंग देहरादून से की थी......घर राजपुर रोड पे था ...इसलिए मसूरी इत्ती बार गए ...की चार्मनहीं रहा....कॉलेज टाइम में भी जब कभी यार दोस्त घूमने आये ..पिता का सरकारी नौकरी में होने के कारण एक गेस्ट हाउस का प्रबंध था ...बाद में भी जब मौका मिला तब हो आये....अब बहुत भीड़ है वहां ,प्रदुषण भी ....ओर जे पी में ए सी भी आ गए है ...इसे बेहतर लेंस्दाउन है ...

राज भाटिय़ा said...

अजी अभी हम नही गये, लेकिन आज आप के लेख ने घुमा दिया, बहुत सुंदर चित्र है,झरना देख कर मजा आ गया, ओर यह ९६ की कार इतनी जलदी धोखा केसे दे देगी भाई,

Abhishek Ojha said...

हम तो अब तक ना देख पाए हैं जी ! पर आपकी नजरो से देखा आज कुछ.

मुनीश ( munish ) said...

I appreciate ur nostalgia but Mussorie is no longer a spot attracting the discerning traveller. Itz dry almost . no?
Maruti, however, is the most reliable car on Indian roads. The older the better.

मुन्ना कुमार पाण्डेय said...

ab mussurie chhodiye sir wahaan sab bekaar kar diya neechhe se logon ne jaakar itna kuda aur gandh faila rakha hai ki kya kahein haan is baar aap mussurie se thoda aage chakrata jaaye wah jagah virgin himalayan beauty hai just 60 km.

Smart Indian said...

हाँ जितेन्द्र भाई, मसूरी की याद दिलाकर आपने तो पुरानी यादों का एक भारी झोला ही झिंझोड़ डाला.

admin said...

गर्मी के लिए अच्छी जगह है। मैं तो ठन्ढी के मौसम में गिर कर नहा चुका हूं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Alpana Verma said...

बहुत ही सुन्दर तस्वीरें.मसूरी की यादें ताजा हो गयीं.शुक्रिया.

दिगम्बर नासवा said...
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