कितने सावन बीते,
कुछ याद नहीं,
मिला नहीं अबतक,
अवसाद यही!
बरबस ऑंखे भर आई है,
बहना जो तू याद आई है!
ठीक है कि
जिंदगी लंबी नहीं,
बड़ी होनी चाहिए!
पर जीने के लिए उनमें
रिश्तों की कड़ी होनी चाहिए।
.........ये कड़ी तू थी बहना!
जब तू नन्हीं थी, न्यारी थी
गोद लिए फिरता-इठलाता था
मेरी बहना-मेरी बहना!
कहकर तूझे बहलाता था।
फिर जाने कब बड़ी हुई
’पराय घर’ कहकर
जाने को खड़ी हुई।
छुपकर तब......
......मैं रोया था बहना!
याद है तूझको
खेल-खेल में
गिरा दिया था मैंने।
खून देखकर इतना
मैं घबराया था कितना!
’मैं खुद गिरी’ मॉं से कह कर
तुमने मुझे बचाया था बहना!
और ऐसी कितनी हैं बातें
जिसके लिए तब
माना नहीं अहसान
......आज माना है ये बहना!
अब तू अपने घर
मैं अपने घर
जाने कब बीत गई उमर
....तूने नहीं बताया बहना!
वो गलियॉं छूटी
वो साइकिल टूटी
साथ रही तू इस कदर
पीछे-पीछे परछाई बहना!
गृहस्थ-जीवन की कथा
कह दी यदा-कदा
दिन-दिन की व्यथा
सहती रही सदा।
.....अब कहॉं कुछ कहती बहना!
सुना है सत्तर की जिंदगी
होती है बहुत बड़ी।
पर सतरह साल तक
बचपन जो संग जिया
.........उम्र वही बड़ी थी बहना!
बड़े चाव से खरीदी है
तेरे नाम से राखी बहना!
परदेस में हूँ सो भूल गया-
यूँ न कुछ कहना बहना।
अपने ही हाथों से मैंने
बॉंधी इसे कलाई पर
सच कहूँ मन भर आया
याद जो तेरी आई बहना!
वो अठन्नी दो आने
भींची मुट्ठी खोल दे बहना!
इससे ज्या्दा पैसे दूँगा
प्यार से ‘भैया’ बोल दे बहना!
जी-भर लड़ ले,
कुछ न कहूँगा
पर ये कहे बिन
नहीं रहूँगा-
'वो मिठाई का आधा हिस्सा
आज भी बकाया है मेरी बहना!'
-जितेन्द्र भगत
(अपनी बहन को समर्पित ये कविता; उसी को याद करते हुए, जो मुझसे काफी दूर रहती है, हर बार राखी भेजती है मगर समय पर पहुँच नहीं पाती:)
Wednesday, 5 August 2009
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17 comments:
बहुत सुन्दर रचना.. बहना खुश हो जायेगी..
इस बार भी नहीं पहुँची राखी क्या?
बरबस ऑंखे भर आई है,
बहना जो तू याद आई है!
-बहुत सुन्दर रचना.
bhaaee bahan ke aapasi pyar ka bilkul sahi ehasas ki sundar rachana....our kya kahe
badhaai ho bhai !
bahut khoob rachnaa..............
हम तो भाग्यशाली हैं।
बहनों की राखियाँ समय से आ ली हैं।
हमने उन्हें प्यार से कलाई पर सजा ली हैं।
बाजार से लाकर मनपसन्द मिठाई भी खा ली हैं।
बहना समीप नहीं है, सो
उपहार का खर्चा टल गया है
रक्षाबन्धन का प्यारा त्यौहार
बटुए से इकन्नी खर्चे बिना
मजे से निकल गया है:)
आज मैं बहुत प्रसन्न हूं। मेरी बहन की राखी समय पर आ गयी है!
दूर हो बहना तो .. याद आनी ही है .. बहुत सुंदर लिखा है !!
बेहद खूबसूरत रचना.
बहन के प्यार की डोरी से बंधी एक खूबसूरत रचना!इस पावन-पर्व पर बहुत-बहुत शुभकामनायें।
बरबस ऑंखे भर आई है,
बहना जो तू याद आई है!
राखी पर्व पर भावुक करती पंक्तियाँ....सुंदर रचना
regards
"वो मिठाई का आधा हिस्सा
आज भी बकाया है मेरी बहना!"
क्या खूब बात है!
aapne mujhe bhi rula diya...
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
भावप्रवण रचना !
Der se padha par dil bhar aya.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"
Rakhee to beet gayee, Bhaee ko phone karke hee analee wah bhee ghar se bahar tha pata nahee rakhee mili ya nahee. par aapkee kawita padh kar aankh bhar aayee.
आपने आज रुला दिया ..काश! इस शिद्दत से हर भाई अपनी बहना को याद करे ......! आप दोनों में प्यार बना रहे..ये कशिश बरक़रार रहे..और क्या कहूँ?
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