बेरंग पत्तों पर सरसराती बूँदों को
देखे एक अरसा हुआ!
मुरझाए चेहरों के पीछे
मन तक है तरसा हुआ!
अभी एक कार रूकी है रेड लाइट पर
कि यकायक चल पड़ा है वाइपर!
भीखू की हथेली पर पड़ी है चार बूँदें
मचलकर अपनी बहन को दिखा रहा है,
जो अभी छल्ले का करतब दिखाके
सुस्ता रही है छॉव में।
कभी जोर की बारिश में
छतरी उड़ा करती थी,
चहकते कदमों तले
राहें मुड़ा करती थी!
अब धूल है, ऑंधी है
गर्म हवाओं में होश उड़ा करता है!
आसमॉं पे होते थे
परींदों के घेरे।
नजरें तलाशती-सी हैं
बादलों के डेरे!
सुना है तेरे शहर में
हुई है बारिश!
कि हवा का कोई झोंका
सिहराता है मन को
और बूँदे तन को!
कि भीखू के चेहरे पर
चमक लौट आई है!
साथ ही लौटी है
खेतीहरों के खेतों में
सूखे फसलों की जीजिविषा!!
और
अभी एक सपना देखा था
और अभी एक सपना टूटा है!!
बारिश की कोई बूँद
ऑंखों से छलक आई है...........
-जितेन्द्र भगत
(सभी चित्र गूगल से साभार)
Friday, 10 July 2009
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24 comments:
कि भीखू के चेहरे पर
चमक लौट आई है!
साथ ही लौटी है
खेतीहरों के खेतों में
सूखे फसलों की जीजिविषा!!
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अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा -- वाह! वाह!
bahut sundar aur bhaavmay abhivyakti hai aabhaar
हाँ, अब कहीं कहीं दिखने लगी हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ये बारिश तो भीगा गयी सर से पाँव तक... इसे सिर्फ बढ़िया तो नहीं कहूँगा...
ऐसे भावाभिव्यक्तियों के प्रशंशा के लिए शब्द ढूंढ़ना बड़ा ही कठिन हो जाता है........
बस.......... लाजवाब लिखा है आपने और क्या कहूँ,कुछ सूझ नहीं रहा....
शुरू से अंत तक के राग है आपकी कविता मे .............जिसमे भाव कुट कुटकर भरे पडे है .............बहुत ही सुन्दर
जब ऐसी चित्रमय रचना हो तो बूंदों को तो दिखना ही पड़ेगा। सुन्दर।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
behad khubsurat abhivyakti,badhai,sunder chitra bhi hai.
बहुत ही बेहतरीन बूंदो के भाव कह दिये।
कि भीखू के चेहरे पर
चमक लौट आई है!
साथ ही लौटी है
खेतीहरों के खेतों में
सूखे फसलों की जीजिविषा!!
बहुत उम्दा।
देखिये न .आपकी बूंदे छलक कर हमारे शहर में आज आ गिरी....पर भीखू के चेहरे पे मुस्कराहट आएगी या नहीं..ये कहना मुश्किल है ....
बेहद और सुंदरतम भाव प्रगट किये हैं आपने.
रामराम.
"अभी एक सपना टूटा है!!
बारिश की कोई बूँद
ऑंखों से छलक आई है"
मर्मस्पर्शी चित्र और सुन्दर रचना, बधाई!
बहुत सुंदर, भाव पुर्ण कविता कही आप ने ,
भगवान जरुर सपने पुरे करेगा, जरुर बारिस की बुंदे भी भीखू के चहरे की चमक बढायेगी
बहुत सुंदर रचना.
बहुत खुब.. आज कुछ बुंदे गिरी लेकिन जब तक हम बाहर देख्ते वो लापता हो गई..
अभी एक सपना देखा था
और अभी एक सपना टूटा है!!
बारिश की कोई बूँद
ऑंखों से छलक आई है...........
उत्तम अभिव्यक्ति... साधू
बहुत खूब सुन्दर रचना चित्र भी सुंदर हैं .
बारिश की बूंदे यूँ भी गिरती है ...अच्छा चित्रण किया है आपने .
बेहद और सुंदर भाव बहुत ही सुन्दर.
काफी बारीक नज़र पायी है आपने।
सुन्दर कविता। बारिश की रिमझिम के बीच पढ़ना प्रीतिकर लगा।
भिगो गयी ये पोस्ट !
बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये उम्दा रचना और साथ में सुंदर तस्वीरें बहुत अच्छी लगी!
बहुत सुन्दर, ब्लाग में रंग संयोजन ठीक करें.
भीखू की हथेली पर पड़ी है चार बूँदें
मचलकर अपनी बहन को दिखा रहा है,
जो अभी छल्ले का करतब दिखाके
सुस्ता रही है छॉव में।
कभी-कभी राह चलते हम भी बूंदों को देख लेते हैं... आपकी रचना में देखकर मन फिर से प्यासा हो गया...
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