6 दिसम्बर 2010 की रात हमदोनों अपने बेटे इशान के साथ पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुँचे। वैसे टिकट सब्जी मंडी से थी, लेकिन ट्रेन लेट थी और सब्जी मंडी का रेलवे स्टेशन काफी सुनसान रहता है, इसलिए वहॉं इंतजार करना हमें उचित नहीं लगा।
इस सफर का पूरा सिड्यूल इस प्रकार था-
6 दिसंबर - दिल्ली से कालका - 20:45 से 4:40 हावड़ा दिल्ली कालका मेल(2311)फर्स्ट एसी 900/-प्रति व्यक्ति
7 दिसंबर - कालका से शिमला - 5:30 से 10-15 शिवालिक डिलक्स एक्सप्रेस(241) 280/- प्रति व्यक्ति
7 दिसंबर - शिमला से बड़ोग - 16:40 से 17:15 रेल मोटर प्रति व्यक्ति
8 दिसंबर - बड़ोग से कालका - 13:30 से 16:40 हिमालयन क्वीन(256) 167/- प्रति व्यक्ति
8 दिसंबर - कालका से दिल्ली - 17:45 से 21:50 कालका शताब्दी(2012) फर्स्ट सीसी 990/- प्रति व्यक्ति
रात का सफर आरामदायक रहा,फर्स्ट एसी होने के बावजूद और लेट नाइट ट्रेन होने की वजह से चाय-पानी की सुविधा यहॉं नहीं मिली। खैर, सुबह 6 बजे के करीब हम कालका जी पहुँच गए, सही समय से करीब 2 घंटे लेट। इशान की नींद अभी पूरी नहीं हुई थी।
वास्तव में इशान ट्रेन को लेकर काफी क्रेजी रहता है, इसलिए यह पूरा सफर मैंने मुख्यत: ट्रेन पर फोकस किया था, किसी टूरिस्ट आकर्षक के लिए नहीं। इसलिए टॉय ट्रेन, रेल कार, चेयर कार आदि को ध्यान में रखकर मैंने टिकट कटाया था।
दूसरी बात ये थी कि सोनिया को कार से उलटी की शिकायत रहती है, इसलिए उसके साथ सफर करने के लिए मेरे पास ट्रेन एक आसान विकल्प था।
ट्रेन कोहरे की वजह से हावड़ा से दिल्ली लेट पहुँची थी, इसलिए कालका भी लेट पहूँची, लेकिन कालका से चलनेवाली शिवालिक ट्रेन इससे कनेक्टेड है, इसलिए वह भी इस ट्रेन के कालका पहुँचने का इंतजार करती है।
धीरे-धीरे भोर हो चला था। बीच में इशान की नींद खुली, पर बोतल से दूध पीने के बाद वह फिर सो गया। इशान को मैंने अपने गोद में सुलाया हुआ था, और सीट काफी छोटी होने की वजह से काफी दिक्कत हो रही थी। कभी दुबारा आना हो तो बच्चे के लिए भी सीट बुक कराना समझदारी रहेगी।
पहाड़ों के बीच ट्रेन चली जा रही थी। कालका से शिमला के बीच 105 सुरंग है। मैं इंतजार कर रहा था कि कब टनल नंबर 33 आए और हम वहॉं उतर कर नाश्ता वगैरह ले सके।
क्रमश:
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2 comments:
हमारे संग हमारे बच्चों को भी ट्रेन का नशा है।
हे भगवान इतनी महंगी यात्रा।
भईया, हमारा तो दम निकल जायेगा।
हम जब टॉय ट्रेन से शिमला गये थे तो 20 रुपये का टिकट लिया था। सीट भी आराम से मिल गई थी। सोलन के बाद पूरा डिब्बा खाली हो गया था, सीन देख-देखकर बोर हो गये थे, इसलिये सीट पर ही पडकर सो गये।
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