फितरत ज़माने की , जो ना बदली तो क्या बदला! ज़मीं बदली ज़हॉं बदला,ना हम बदले तो क्या बदला!
भीड़ में जब कभी तन्हाई चली आती है।
मैं रुका रहता हूँ परछाई चली जाती है।
bahut badhiya sher badhai . likhate rahie,
शेर की दहा़ड़ तो काफी तेज है
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2 comments:
bahut badhiya sher badhai . likhate rahie,
शेर की दहा़ड़ तो काफी तेज है
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